
माँ विन्ध्येश्वरी चालीसा हिन्दी में ॥ दोहा ॥ नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब । सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब ॥ जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदिशक्ति जगविदित भवानी ॥ सिंहवाहिनी जै जगमाता । जै जै जै त्रिभुवन...
माँ विन्ध्येश्वरी चालीसा हिन्दी में ॥ दोहा ॥ नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब । सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब ॥ जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदिशक्ति जगविदित भवानी ॥ सिंहवाहिनी जै जगमाता । जै जै जै त्रिभुवन...
माँ बगलामुखी चालीसा हिन्दी में ॥ दोहा ॥ सिर नवाइ बगलामुखी, लिखूं चालीसा आज ॥ कृपा करहु मोपर सदा, पूरन हो मम काज ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय श्री बगला माता । आदिशक्ति सब जग की त्राता ॥...
माँ पार्वती चालीसा हिन्दी में ॥ दोहा ॥ जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि । गणपति जननी पार्वती अम्बे! शक्ति! भवानि ॥ ॥ चौपाई ॥ ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे । पंच बदन नित तुमको ध्यावे ॥ षड्मुख कहि...
माँ महाकाली चालीसा- जय काली कंकाल मालिनी! हिन्दी में ॥ दोहा ॥ जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब, देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥ जय तारा जय कालिका जय दश विद्या वृन्द, काली चालीसा रचत एक सिद्धि...
माँ काली चालीसा हिन्दी में ॥दोहा॥ जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार । महिष मर्दिनी कालिका, देहु अभय अपार ॥ ॥ चौपाई ॥ अरि मद मान मिटावन हारी । मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥ अष्टभुजी सुखदायक माता । दुष्टदलन जग में...
शीतला माता चालीसा हिन्दी में ॥ दोहा॥ जय जय माता शीतला , तुमहिं धरै जो ध्यान । होय विमल शीतल हृदय, विकसै बुद्धी बल ज्ञान ॥ घट-घट वासी शीतला, शीतल प्रभा तुम्हार । शीतल छइयां में झुलई, मइयां पलना डार...
माँ नर्मदा चालीसा – जय जय नर्मदा भवानी हिन्दी में श्री नर्मदा चालीसा: ॥ दोहा॥ देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार । चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥ इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान । तट पर कर...
माँ सरस्वती चालीसा हिन्दी में ॥ दोहा ॥ जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि । बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि ॥ पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु। दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब...
श्री गायत्री चालीसा हिन्दी में ॥ दोहा ॥ हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड । शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥ जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम । प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम ॥ ॥...
माँ अन्नपूर्णा चालीसा हिन्दी में ॥ दोहा ॥ विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय । अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय । ॥ चौपाई ॥ नित्य आनंद करिणी माता, वर अरु अभय भाव प्रख्याता ॥ जय ! सौंदर्य सिंधु...
आपका स्वागत है ‘सनातन ज्ञान मंथन’ वेबसाइट पर! यहां, हम आपको प्राचीन भारतीय साहित्य के मूल्यवान गहनों से परिचित कराएंगे। हमारी धरोहर में सीता-राम, कृष्ण-बालराम, और अर्जुन-कर्ण की अद्भुत कहानियों से लेकर महाभारत और रामायण के अनकहे पहलू तक कई रहस्यमयी कथाएं और ज्ञान छिपा है।